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नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग से निपटने के लिए बनी ग्लोबल संस्था FATF ने गुरुवार को कहा कि भारत को कई तरह के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ रहा है। भारत पर जारी मूल्यांकन रिपोर्ट में कहा गया कि देश को सबसे अहम खतरा ISIL (इस्लामिक स्टेट या ISIS) या अल-कायदा से जुड़े उन ग्रुप से है, जो जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास एक्टिव हैं। रिपोर्ट में FATF ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ भारत का सिस्टम प्रभावी है, लेकिन इन मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए बड़े सुधारों की भी जरूरत है।रिपोर्ट में इस संस्था की 40 अनुशंसाओं के अनुपालन के स्तर तथा भारत की एएमएल/सीएफटी प्रणाली की प्रभावशीलता के स्तर का विश्लेषण किया गया है तथा इस बात पर सिफारिशें की गयीं हैं कि प्रणाली को किस प्रकार मजबूत बनाया जा सकता है। FATF का मुख्यालय पेरिस में है और इस संस्था द्वारा 368 पृष्ठों की यह रिपोर्ट जारी की थी। भारत पर इस तरह की पिछली रिपोर्ट 2010 में पब्लिश हुई थी। पिछले साल नवंबर में FATF की एक्सपर्ट टीम भारत आई थी। अब भारत का अगला मूल्यांकन 2031 में होगा।
आजादी के बाद से आतंकवाद से पीड़ित है भारत
एफएटीएफ ने कहा कि 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत लगातार आतंकवाद के प्रभावों से पीड़ित रहा है। उसने कहा, ‘भारत को विभिन्न प्रकार के आतंकवाद के खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें भारत ने छह विभिन्न क्षेत्रों में बांटा है। इन्हें संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है कि ये आईएसआईएल या अल-कायदा से जुड़े चरमपंथी समूहों से जुड़े वर्ग हैं जो जम्मू-कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं, चाहे वे प्रत्यक्ष रूप से हों या छद्म या सहयोगियों के माध्यम से, साथ ही क्षेत्र में अन्य अलगाववादी और अन्य आईएसआईएल और अल-कायदा प्रकोष्ठ, उनके सहयोगी या भारत में कट्टरपंथी व्यक्ति।'नक्सली हमलों से भी भारत को खतरा
पेरिस स्थित वैश्विक संस्था आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन से निपटने के लिए कार्रवाई का नेतृत्व करती है और सिफारिशों को अंतिम रूप देती है। एफएटीएफ ने कहा कि भारत के उत्तर-पूर्व और उत्तर में क्षेत्रीय उग्रवाद और सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने वाले वामपंथी नक्सली समूह देश के लिए अन्य आतंकवादी खतरे हैं। उसने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण आतंकवाद का खतरा आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट) या एक्यू (अल-कायदा) से जुड़े समूहों से संबंधित प्रतीत होता है जो जम्मू-कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल या आईएसआईएस को सीमित समर्थन मिलने के कारण विदेशी आतंकवादी लड़ाकों (एफटीएफ) की वापसी को भारत के संदर्भ में 'महत्वपूर्ण जोखिम क्षेत्र' नहीं माना गया।
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